किसको करीब और किसको अजीज कहूँ... मैं जिया हूँ अपनी
"किसको करीब और किसको अजीज कहूँ...
मैं जिया हूँ अपनी दोस्ती,और उसी में मैं मरूँ...
ये दोस्ती तो बस एक नाम है,ये बनती है इंसां औ लम्हे जोड़ कर..
मैंने जिए हैं लम्हे दोस्ती के,जाके हर एक पड़ाव पर ....."
किसको करीब और किसको अजीज कहूँ...
मैं जिया हूँ अपनी दोस्ती,और उसी में मैं मरूँ...
ये दोस्ती तो बस एक नाम है,ये बनती है इंसां औ लम्हे जोड़ कर..
मैंने जिए हैं लम्हे दोस्ती के,जाके हर एक पड़ाव पर .....