यकीनन तुम्हारी मंजिल नही हूँ मगर सफर मे जब भी पुका | हिंदी शायरी

"यकीनन तुम्हारी मंजिल नही हूँ मगर सफर मे जब भी पुकारोगे साथ पाओगे। ©Abhishek Raghav"

 यकीनन तुम्हारी मंजिल नही हूँ मगर
सफर मे जब भी पुकारोगे साथ पाओगे।

©Abhishek Raghav

यकीनन तुम्हारी मंजिल नही हूँ मगर सफर मे जब भी पुकारोगे साथ पाओगे। ©Abhishek Raghav

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