मुझे मालूम है क्या हद मेरी इस हद में रहने दो। कस् | हिंदी शायरी Video

"मुझे मालूम है क्या हद मेरी इस हद में रहने दो। कस्बे के मुसाफिर को इसी सरहद में रहने दो । पतंगों से भला क्या पूछते अरमान हो उनके , जलें या राख हो जाएं शमा की जद में रहने दो। न ऊंचे ख्वाब पाले हैं न ऊंची ख्वाइशें अपनी , है छोटा कद मेरी औकात का इस कद में रहने दो ।। [ रवि]"

मुझे मालूम है क्या हद मेरी इस हद में रहने दो। कस्बे के मुसाफिर को इसी सरहद में रहने दो । पतंगों से भला क्या पूछते अरमान हो उनके , जलें या राख हो जाएं शमा की जद में रहने दो। न ऊंचे ख्वाब पाले हैं न ऊंची ख्वाइशें अपनी , है छोटा कद मेरी औकात का इस कद में रहने दो ।। [ रवि]

मेरी हद चाँदनी @Aman Singh @Mili Saha @Shilpa Yadav @Subhashree Sahu

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