वजह तो कोई और ही थी महफ़िल लूटने की मैं यू ही खुद | हिंदी Poetry Video

"वजह तो कोई और ही थी महफ़िल लूटने की मैं यू ही खुद को वाह वाही परोसता रहा दिल तो बहुत था जाकर मिलूँ उसे ना जाने क्यूँ मैं अपने कदम रोकता रहा चेहरा तो नही देख सका उसका लेकिन हाँ बता सकता हूँ उसमे कितनी सादगी होगी उसकी जुल्फों को देख कर जो देख सकीं मेरी आंखें हू ब हू कागज पे उतार दिया पर उसका चेहरा केसा होगा मैं सारी रात सोचता रहा ©Sumit Shayer "

वजह तो कोई और ही थी महफ़िल लूटने की मैं यू ही खुद को वाह वाही परोसता रहा दिल तो बहुत था जाकर मिलूँ उसे ना जाने क्यूँ मैं अपने कदम रोकता रहा चेहरा तो नही देख सका उसका लेकिन हाँ बता सकता हूँ उसमे कितनी सादगी होगी उसकी जुल्फों को देख कर जो देख सकीं मेरी आंखें हू ब हू कागज पे उतार दिया पर उसका चेहरा केसा होगा मैं सारी रात सोचता रहा ©Sumit Shayer

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