एक वही तो थे जो मेरे लफ्ज़ ही नहीं मेरी खामोशी भी | हिंदी Shayari

"एक वही तो थे जो मेरे लफ्ज़ ही नहीं मेरी खामोशी भी पहचान लेते थे, लाख बार रूठ जाऊ मगर, फिर भी वो मुझे बनाकर हंसा लेते थे.!!! ©ichha singh"

 एक वही तो थे जो मेरे लफ्ज़ ही नहीं
मेरी खामोशी भी पहचान लेते थे,
लाख बार रूठ जाऊ मगर,
फिर भी वो मुझे बनाकर हंसा लेते थे.!!!

©ichha singh

एक वही तो थे जो मेरे लफ्ज़ ही नहीं मेरी खामोशी भी पहचान लेते थे, लाख बार रूठ जाऊ मगर, फिर भी वो मुझे बनाकर हंसा लेते थे.!!! ©ichha singh

#angrygirl #Nojoto ☺️☺️☺️

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