शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी, हम भी चलते | हिंदी शायरी

"शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी, हम भी चलते हैं नहीं तो दोपहर हो जाएगी ! तुम निभाओ साथ गर तो मुख़्तलिफ़ इक बात हो, ज़िन्दगी तो यूँ भी होनी है बसर हो जाएगी ! मुतमईन था मैं कि बाज़ी जीत कर ले जाऊंगा, क्या खबर थी मात 'अहमद' की पेशतर हो जाएगी ! राह तन्हा जानकर क्यूं रुक गए चलते कदम, चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफर हो जाएगी ©Jay Piprotar"

 शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी,
हम भी चलते हैं नहीं तो दोपहर हो जाएगी ! 

तुम निभाओ साथ गर तो मुख़्तलिफ़ इक बात हो,
ज़िन्दगी तो यूँ भी होनी है बसर हो जाएगी ! 

मुतमईन था मैं कि बाज़ी जीत कर ले जाऊंगा,
क्या खबर थी मात 'अहमद' की पेशतर हो जाएगी ! 

राह तन्हा जानकर क्यूं रुक गए चलते कदम,
चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफर हो जाएगी

©Jay Piprotar

शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी, हम भी चलते हैं नहीं तो दोपहर हो जाएगी ! तुम निभाओ साथ गर तो मुख़्तलिफ़ इक बात हो, ज़िन्दगी तो यूँ भी होनी है बसर हो जाएगी ! मुतमईन था मैं कि बाज़ी जीत कर ले जाऊंगा, क्या खबर थी मात 'अहमद' की पेशतर हो जाएगी ! राह तन्हा जानकर क्यूं रुक गए चलते कदम, चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफर हो जाएगी ©Jay Piprotar

#cycle

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