White यूँ नज़र अंदाज़ करके कहाँ तक जाओगी,
कभी न कभी इस तरफ नज़र तो उठाओगी।
दिल से आह निकलती है और तुम महरूम रहती हो,
इसे दर्दों की तपिश में कितना जलाओगी।
अब तो अश्क भी आँखों में लहु बनकर उतरते हैं,
क्या आँखों को सुर्ख होने तक रुलाओगी।
ऐसे न जख्मों को नासूर करके छोड़ो,
एहसास-ए-जुर्म से वाकिफ होकर पछताओगी।
हम तो वैसे भी फ़ना हो जाएँगें बस इंतज़ार करो,
जब तुम तड़पता हुआ मुझे छोड़कर जाओगी।
©Aarzoo smriti
#Yun nazarandaaz karke kahan tk jaaogi