आँखे मूंदकर देखते रहो जिसे वो ख्वाब नहीं है जिन्दग | हिंदी शायरी

"आँखे मूंदकर देखते रहो जिसे वो ख्वाब नहीं है जिन्दगी आखिरी वक्त आते-आते ये बहुत-सी बातें सिखा देती है। जवानी तो अपने ही नशे में चूर रहती है लेकिन बुढ़ापे तक कौन अपना है और कौन पराया सारी सच्चाई बता देती है। ©Aanchal tripathi"

 आँखे मूंदकर देखते रहो जिसे वो ख्वाब नहीं है जिन्दगी आखिरी वक्त आते-आते ये बहुत-सी बातें सिखा देती है।

जवानी तो अपने ही नशे में चूर रहती है लेकिन बुढ़ापे तक कौन अपना है और कौन पराया सारी सच्चाई बता देती है।

©Aanchal tripathi

आँखे मूंदकर देखते रहो जिसे वो ख्वाब नहीं है जिन्दगी आखिरी वक्त आते-आते ये बहुत-सी बातें सिखा देती है। जवानी तो अपने ही नशे में चूर रहती है लेकिन बुढ़ापे तक कौन अपना है और कौन पराया सारी सच्चाई बता देती है। ©Aanchal tripathi

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