जिंदगी ना जाने क्यों हर बार इक नया सबक सिखा देती हैं,ये सबक है कुछ इस तरह है...
की मोहब्बत में महबूब को महबूब ही रहने दिया जाए तो ज्यादा बेहतर है बजाय अपना रकीब बना लेने के...और महबूब जब रहबर या रकीब बन जाता है न तो इंसान को अपनी ही नज़र में गिरा देता है।
©deepali
#ज़िंदा _और_दिलकश#