भूल कर सब आगे बढ़ना सीखो, गलतफैमि की गांठो को खोलकर
"भूल कर सब आगे बढ़ना सीखो,
गलतफैमि की गांठो को खोलकर
प्यार से रिश्तो को संजो कर रखो,
क्या रखा है
बूरी बातों को याद रखने में,
क्यों न रिशतो को फिर से प्यार में बदला जाये
नौक जोंक तो हिस्सा है इनका,
बिना इनके कहाँ कोई रिश्ता पूरा है।"
भूल कर सब आगे बढ़ना सीखो,
गलतफैमि की गांठो को खोलकर
प्यार से रिश्तो को संजो कर रखो,
क्या रखा है
बूरी बातों को याद रखने में,
क्यों न रिशतो को फिर से प्यार में बदला जाये
नौक जोंक तो हिस्सा है इनका,
बिना इनके कहाँ कोई रिश्ता पूरा है।