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वैसे तो 'ग़ज़ल' उर्दू साहित्य की अत्यंत लोकप्रिय विधा रही है, जिसका मतलब होता है माशूका से गुफ्तगू। समय के साथ यह विधा हिंदी में भी आई और अब हिंदी में भी ग़ज़ल उतनी ही स्वीकार्य है जितनी कि उर्दू में। हिंदी में दुष्यंत कुमार और अदम गोंडवी जैसे शायरों ने ग़ज़ल को जीवन विभिन्न संघर्षों से जोड़ा है। यह एक ऐसी काव्यविधा रही है जिसमें चंद शब्दों में ही अपनी बातें कहने की क्षमता होती है। पेश है हिंदी ग़ज़लों के बेहतरीन शायरों के चुनिंदा शेर.....
अपना दरवाज़ा ख़ुला रखता है हमेशा 'नीरज'
ज़िंदगी आती है, आती है मगर चुपके से
~नीरज
जगह, कुदाल, कुआं सब तलाश कर लेंगे
मैं सिर्फ़ सोई हुई प्यास को जगाता हूं
~ देवेन्द्र कुमार आर्य
©Akash Bhusare
Very sad 😭 shayari 😭😭