यू अकेला दूर फलक देखता हूं।
तेरे आंखों को हर तरफ खोजता हूं।
मान लिया वो रात भुलाए नहीं भूलती।
जिस्म जब तड़प रहे थे मिलने को।
तेरे खूबसूरत होठों को चूमना।
बार बार मदहोश सिसकियां भरना।
मेरे हाथो का यू फेरना,
तेरी हर तड़प याद है।
विश्वास नहीं होता ये जिस्म की कैसी आग है।
तेरे पीठ का वो तिल बार बार चूमता।
गर्दन पर यू दांत चुभोता।
वो अक्स, वो रात, वो प्यार समुद्र से भी गहरा।
हां सब विस्वास की बात है।
जो अब तेरे मेरे दरमिया हैं।
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Erotica! after losing a bet.
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