ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूं मैं हैरत से न देख म | हिंदी शायरी

"ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूं मैं हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूं मैं तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूं मैं…"

 ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूं मैं
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूं मैं
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूं मैं…

ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूं मैं हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूं मैं तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूं मैं…

#ठोकर न मार मुझे#पत्थर नहीं हूं मैं
#हैरत से न देख मुझे#मंज़र नहीं हूं मैं
तेरी#नज़रों में मेरी#क़दर कुछ भी नहीं
मेरी#माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूं मैं

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