अरमान ये नहीं के, मुमताज़ के पीछे ताज महल बनाऊँ...

"अरमान ये नहीं के, मुमताज़ के पीछे ताज महल बनाऊँ... ख़ाहिश बस इतनी है के... उसकी मौजूदगी में हुकूमत-ए-मोहब्बत सजाऊं। ©Darshana"

 अरमान ये नहीं के,
मुमताज़ के पीछे ताज महल बनाऊँ...
ख़ाहिश बस इतनी है के...
उसकी मौजूदगी में हुकूमत-ए-मोहब्बत सजाऊं।

©Darshana

अरमान ये नहीं के, मुमताज़ के पीछे ताज महल बनाऊँ... ख़ाहिश बस इतनी है के... उसकी मौजूदगी में हुकूमत-ए-मोहब्बत सजाऊं। ©Darshana

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