White दुनिया के दर से " वक्त बे वक्त उठे क़दम, अक | हिंदी शायरी V

"White दुनिया के दर से " वक्त बे वक्त उठे क़दम, अक्सर नादानियां में बहक ही जाते हैं। कभी टुकड़ों में कभी लाशों में, सही सलामत घर को लौट कहां पातें हैं। बिना आशीष के घर बसते नहीं देखे, लोग पागल हैं जो शादियां रचाते हैं। अगर बच्ची है धरोहर ,विवाह के पवित्र बंधन की तो, सिर्फ़ दुनिया के दर से। ©Anuj Ray "

White दुनिया के दर से " वक्त बे वक्त उठे क़दम, अक्सर नादानियां में बहक ही जाते हैं। कभी टुकड़ों में कभी लाशों में, सही सलामत घर को लौट कहां पातें हैं। बिना आशीष के घर बसते नहीं देखे, लोग पागल हैं जो शादियां रचाते हैं। अगर बच्ची है धरोहर ,विवाह के पवित्र बंधन की तो, सिर्फ़ दुनिया के दर से। ©Anuj Ray

# दुनिया के डर से "

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