नई-नई आंखें हो तो हर मंजर अच्छा लगता है कुछ दिन शह | हिंदी Shayari

"नई-नई आंखें हो तो हर मंजर अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में भूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर ही अच्छा लगता है हम ने भी सो कर देखा है नए पुराने शहरों में जैसा भी है पर अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है ©dixit_love_"

 नई-नई आंखें हो तो हर मंजर अच्छा लगता है
कुछ दिन शहर में भूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है



मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं
जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर ही अच्छा लगता है



हम ने भी सो कर देखा है नए पुराने शहरों में
जैसा भी है पर अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है

©dixit_love_

नई-नई आंखें हो तो हर मंजर अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में भूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर ही अच्छा लगता है हम ने भी सो कर देखा है नए पुराने शहरों में जैसा भी है पर अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है ©dixit_love_

#sadak #घर #जीमादारी #सिटी

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