मुक्तक :-
करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना ।
करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।।
दीनों को हो आस , तुम्हारे ही कुनबे से -
पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।।
कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल ।
बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।।
बने सुगम हर राह , करो धर्मों का पालन-
नहीं सताओ आप , कभी भी देखो निर्बल ।।
०५/०४/२०४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :-
करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना ।
करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।।
दीनों को हो आस , तुम्हारे ही कुनबे से -
पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।।
कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल ।
बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।।