मुक्तक :- करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना । कर | हिंदी कविता

"मुक्तक :- करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना । करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।। दीनों को हो आस  , तुम्हारे ही कुनबे से - पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।। कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल । बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।। बने सुगम हर राह , करो धर्मों का पालन- नहीं सताओ आप , कभी भी देखो निर्बल ।। ०५/०४/२०४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 मुक्तक :-
करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना ।
करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।।
दीनों को हो आस  , तुम्हारे ही कुनबे से -
पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।।

कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल ।
बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।।
बने सुगम हर राह , करो धर्मों का पालन-
नहीं सताओ आप , कभी भी देखो निर्बल ।।

०५/०४/२०४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना । करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।। दीनों को हो आस  , तुम्हारे ही कुनबे से - पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।। कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल । बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।। बने सुगम हर राह , करो धर्मों का पालन- नहीं सताओ आप , कभी भी देखो निर्बल ।। ०५/०४/२०४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :-
करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना ।
करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।।
दीनों को हो आस  , तुम्हारे ही कुनबे से -
पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।।

कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल ।
बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।।

People who shared love close

More like this

Trending Topic