आंखें भीग जाती हैं जी भर के उसे देख नहीं पाता कान | हिंदी Shayari

"आंखें भीग जाती हैं जी भर के उसे देख नहीं पाता कान थकते नहीं है उसकी आवाज़ सुनने से खुद को रोक नहीं पाता वो मोबाइल से छिपा लेते हैं हर डीपी पे उन्हें जिनसे लगता है मेरी बहुत पुरानी जान पहचान है उन होठों को अब मैं देख नहीं पाता ©Dr Ziddi Sharma"

 आंखें भीग जाती हैं
जी भर के उसे देख नहीं पाता
कान थकते नहीं है उसकी आवाज़ सुनने से 
खुद को रोक नहीं पाता
वो मोबाइल से छिपा लेते हैं 
हर डीपी पे उन्हें
जिनसे लगता है मेरी बहुत पुरानी जान पहचान है
उन होठों को अब मैं देख नहीं पाता

©Dr Ziddi Sharma

आंखें भीग जाती हैं जी भर के उसे देख नहीं पाता कान थकते नहीं है उसकी आवाज़ सुनने से खुद को रोक नहीं पाता वो मोबाइल से छिपा लेते हैं हर डीपी पे उन्हें जिनसे लगता है मेरी बहुत पुरानी जान पहचान है उन होठों को अब मैं देख नहीं पाता ©Dr Ziddi Sharma

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