मृत्यु एक अंत नहीं है, बल्कि एक परिवर्तन है।हमारी आत्मा एक रूप से दूसरे रूप में बदलती रहती है, जैसे जल की बूँद एक घट से दूसरे घट में जाती है। यह एक अनंत प्रक्रिया है, जिसमें हम नए अनुभवों और सीखने के अवसर पाते हैं।मृत्यु को एक दोस्त और एक शिक्षक माना, जो हमें अपने जीवन की असली मूल्य और अर्थ को समझने में मदद करता है। वह कहते थे कि हमें मृत्यु से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सामना करना चाहिए। हमें मृत्यु को एक शत्रु नहीं, बल्कि एक मित्र मानना चाहिए, जो हमें अपने जीवन को अधिक पूर्णता, अधिक प्रेम और अधिक खुशी से जीने का संदेश देता है।
©Niraj Kumar
## Mrityu se Hamara sambandh #