सपने यदि पूरे मेरे होते,
निश्चिन्त हो खूब सोते,,
खुले आसमाँ में लगाते गोते,
किसी फिकर में न रोते। ।
भ्रमर बन फूल फूल पर मंडराते,
आंधी तूफ़ाँ से न घबराते,,
सरपट सरपट दौड़ लगाते,
किसी की पकड़ में न आते। ।
बड़ों की डांट हम न खाते,
बस्ता लाद स्कूल हम न जाते,,
दादा संग घूमने बाहर जाते,
मौज मस्ती कर घर को आते। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले
खुद की जुबानी। ।
©Santosh Verma
#sapne ##