पेड़ भी आसरा नहीं दे रहे तेरे शहर के , गां | हिंदी Shayari

"पेड़ भी आसरा नहीं दे रहे तेरे शहर के , गांव से आकर हम तो यार मुसाफ़िर हो गए ,"

 पेड़  भी  आसरा  नहीं  दे  रहे  तेरे  शहर  के ,
गांव से आकर हम तो यार मुसाफ़िर हो गए ,

पेड़ भी आसरा नहीं दे रहे तेरे शहर के , गांव से आकर हम तो यार मुसाफ़िर हो गए ,

पेड़ भी आसरा नहीं दे रहे तेरे शहर के ,
गांव से आकर हम तो यार मुसाफ़िर हो गए ,
#nojotoaap

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