नये नये इश्क़ में किसी रिक्शे पर शर्म से लाल हुई ल | हिंदी Poetry

"नये नये इश्क़ में किसी रिक्शे पर शर्म से लाल हुई लड़की जिसने अभी- अभी अपने बालों को कान के पीछे फिर से दबाते हुए कनखियों से साथ चलते साइकिल के पहिये जिसे अब वो पहचानने लग गई है से आश्वस्त होकर अपने चेहरे पर उतर आयी रंगत को छुपाया है और बुशर्ट की २-३ बटन खोले साइकिल को मोटर साइकिल की रफ़्तार से भगाता लड़का रिक्शे के ट्रैफिक में फँसने की उम्मीद में चला जा रहा है इश्क़ में मील का पत्थर जैसा लगता है ...! .... संतोष .. ©sandeep Singh"

 नये नये इश्क़ में
किसी रिक्शे पर
शर्म से लाल हुई लड़की

जिसने अभी- अभी अपने बालों को कान के पीछे फिर से दबाते हुए 
कनखियों से 
साथ चलते 
साइकिल के पहिये
जिसे अब वो पहचानने लग गई है
 से आश्वस्त होकर
अपने चेहरे पर उतर आयी रंगत को छुपाया है

और
 बुशर्ट की २-३ बटन खोले

साइकिल को मोटर साइकिल की रफ़्तार से भगाता लड़का

रिक्शे के ट्रैफिक में फँसने की उम्मीद में
चला जा रहा है

इश्क़ में मील का पत्थर जैसा लगता है ...!




















....

संतोष

..

©sandeep Singh

नये नये इश्क़ में किसी रिक्शे पर शर्म से लाल हुई लड़की जिसने अभी- अभी अपने बालों को कान के पीछे फिर से दबाते हुए कनखियों से साथ चलते साइकिल के पहिये जिसे अब वो पहचानने लग गई है से आश्वस्त होकर अपने चेहरे पर उतर आयी रंगत को छुपाया है और बुशर्ट की २-३ बटन खोले साइकिल को मोटर साइकिल की रफ़्तार से भगाता लड़का रिक्शे के ट्रैफिक में फँसने की उम्मीद में चला जा रहा है इश्क़ में मील का पत्थर जैसा लगता है ...! .... संतोष .. ©sandeep Singh

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