फिरता था मैं दर वदर कुछ नहीं करता था। किन ख्यालों | हिंदी शायरी

"फिरता था मैं दर वदर कुछ नहीं करता था। किन ख्यालों मैं हर पल खोया रहता था।। लिखने की आरज़ू तो तुमसे मिलकर हुई। कलम पहले भी थी कागज तब भी रहता था।।"

 फिरता था मैं दर वदर कुछ नहीं करता था।
किन ख्यालों मैं हर पल खोया रहता था।।
लिखने की आरज़ू तो तुमसे मिलकर हुई।
कलम पहले भी थी कागज तब भी रहता था।।

फिरता था मैं दर वदर कुछ नहीं करता था। किन ख्यालों मैं हर पल खोया रहता था।। लिखने की आरज़ू तो तुमसे मिलकर हुई। कलम पहले भी थी कागज तब भी रहता था।।

उस पल के लिए

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