एक स्त्री चाहिए.....!! जिसके समक्ष मैं मन से नग | हिंदी लव

"एक स्त्री चाहिए.....!! जिसके समक्ष मैं मन से नग्न हो सकूँ उतार फेंकूँ सारे मुखौटे भूला सकूँ पुरुष होने का दम्भ रो सकूँ ज़ार-ज़ार , जिसे कह सकूँ पुरुष हूँ मगर , पीड़ा अनुभव करता हूँ चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह तुम फेर दो हाथ बालों पर , गालों पर पुरूष होते हुए भी कांधा चाहिए कभी कभी मुझे भी सिर्फ़ चमकता-दमकता बदन ही नहीं एक स्त्री चाहिए , जिसे प्रेम करते हुए पूजा भी कर सकूं , वासना से नहीं श्रद्धा से जिसके चरणों को चूम सकूँ जिसके स्पर्श मात्र से पुलकित हो उठे रोम रोम मेरा , कर दूं पूर्ण समर्पण विगलित हो अस्तित्व मेरा , मैं नारी बन जाऊं वो पुरुष बन जाएं उसमें मैं नज़र आऊँ , वो मुझमें नज़र आएं एक स्त्री चाहिए , जिसे मैं उस तरह प्रेम कर सकूँ जिस तरह एक स्त्री प्रेम करती हैं....!! ©Surya Kant"

 एक स्त्री चाहिए.....!!

जिसके समक्ष मैं 
मन से  नग्न हो सकूँ
उतार फेंकूँ सारे मुखौटे
भूला सकूँ पुरुष होने का दम्भ

रो सकूँ ज़ार-ज़ार , जिसे कह सकूँ
पुरुष हूँ मगर , पीड़ा अनुभव करता हूँ
चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह
तुम फेर दो हाथ बालों पर , गालों पर

पुरूष होते हुए भी कांधा चाहिए
कभी कभी मुझे भी
सिर्फ़ चमकता-दमकता बदन ही नहीं

एक स्त्री चाहिए , जिसे प्रेम करते हुए
पूजा भी कर सकूं , वासना से नहीं
श्रद्धा से जिसके चरणों को चूम सकूँ

जिसके स्पर्श मात्र से पुलकित हो उठे
रोम रोम मेरा , कर दूं पूर्ण समर्पण
विगलित हो अस्तित्व मेरा , मैं नारी बन जाऊं
वो पुरुष बन जाएं

उसमें मैं नज़र आऊँ , वो मुझमें नज़र आएं

एक स्त्री चाहिए , जिसे मैं उस तरह प्रेम कर सकूँ
जिस तरह एक स्त्री प्रेम करती हैं....!!

©Surya Kant

एक स्त्री चाहिए.....!! जिसके समक्ष मैं मन से नग्न हो सकूँ उतार फेंकूँ सारे मुखौटे भूला सकूँ पुरुष होने का दम्भ रो सकूँ ज़ार-ज़ार , जिसे कह सकूँ पुरुष हूँ मगर , पीड़ा अनुभव करता हूँ चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह तुम फेर दो हाथ बालों पर , गालों पर पुरूष होते हुए भी कांधा चाहिए कभी कभी मुझे भी सिर्फ़ चमकता-दमकता बदन ही नहीं एक स्त्री चाहिए , जिसे प्रेम करते हुए पूजा भी कर सकूं , वासना से नहीं श्रद्धा से जिसके चरणों को चूम सकूँ जिसके स्पर्श मात्र से पुलकित हो उठे रोम रोम मेरा , कर दूं पूर्ण समर्पण विगलित हो अस्तित्व मेरा , मैं नारी बन जाऊं वो पुरुष बन जाएं उसमें मैं नज़र आऊँ , वो मुझमें नज़र आएं एक स्त्री चाहिए , जिसे मैं उस तरह प्रेम कर सकूँ जिस तरह एक स्त्री प्रेम करती हैं....!! ©Surya Kant

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