माँ के हाथ के चाटा और खाना दोनों ही लाजबाब थे | हिंदी Shayari

"माँ के हाथ के चाटा और खाना दोनों ही लाजबाब थे कितना भी खा लो पेट नहीं भरता।। 🇮🇳एक्स, आर्मी 🇮🇳 ©Krishana Kant Sinha"

 माँ के हाथ के चाटा और खाना

दोनों  ही  लाजबाब  थे

कितना भी खा लो पेट नहीं भरता।।

🇮🇳एक्स, आर्मी 🇮🇳

©Krishana Kant Sinha

माँ के हाथ के चाटा और खाना दोनों ही लाजबाब थे कितना भी खा लो पेट नहीं भरता।। 🇮🇳एक्स, आर्मी 🇮🇳 ©Krishana Kant Sinha

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