"बादल जो वर्षा करवायें
तपती धूप में ढाल बने जो
सूर्य देव भी शीश नवाएँ
बिजली सा तेज़ गुस्सा जिसका
गरज गरज जो शोर मचाये
निर्मल बूँदों से हाँ जिसकी
धरा भी निखर सी जाए
कल कल बहती नदिया झरने
मेघ के होने से इतराएँ
भीनी भीनी माटी की खुशबू
देशप्रेम कि धार बहाए
ये भेद करें ना किसी में कोई
जो भी आये प्यास बुझाये
बात छोटी पर सीख बड़ी है
ये बंधुता का सन्देश सुनाएं।।
©Sukanya Gupta
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