वो गुस्सा है मुझे से और नाराज़ भी नहीं,
दिल टूट रहा है मेरा और आवाज़ भी नहीं।
जैसे तेसे दिन गुज़ारा था कल का मैंने,
अफसोस खुशनुमा दिन मेरा आज भी नहीं।
बहुत बहलाया बहुत फुसलाया मानता मेरी एक नहीं,
दिल मेरा तमाशा करता है, करता मेरी लिहाज़ भी नहीं
गर ज़ख़्म हो लहूलुहान तो हक़ीम को दिखाऊँ,
कंबख़्हत बीमार ए मोहब्बत का कोई इलाज भी नहीं।
@vikram.....
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©Vikram Alwar Rajasthan
नाराज़गी