बदलते मौसम के साथ बदलना
समाज की सोच भी चाहती थी।।
पर अफसोस ये हो न्ही सक्ता क्युकी
कुछ अपनों की सोच अभी तक बदल ही न्ही पायी तो समाज की क्या
बदलुंगी क्युंकि अभी के लिए ही सही
मेरा समाज तो वहीं है।।
पर आज ये तेय ज़रुर कर लिया है जिस दिन अपनो की सोच बदल दी उसके अगले दिन एक नई सुबह के साथ सारे समाज की सोच बदलदूंगी।।
#पर अपने बदलाव की इस सोच को दुनिया के सामने हारने का मौका न्ही दूंगी ।।🙂
@ईशा शर्मा
#बदलाव ज़रुरी है।।