White बेशक अंधेरा बहुत ही घना था l
मैं भी मगर होंसलो से बना था ll
कंधों पे बोझ था जिम्मेदारियों का,
सीना मेरा मगर फिर भी तना था l
वो समझा रहा था मुझे जिंदगी की कीमत,
जिसका अपना दामन खून से सना था l
मुंह पे मेरे ज्यादा मीठा उन्हीं ने बोला,
पीठ पीछे जिन्हें ज़हर उगलना बोलना था l
उन्मादी भीड़ थी आंखों में वहशत लिए
खून पिए बिना इसे कहां थमना था ll
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May 2024
©Dimple Kumar
#अंधेरा