मेरी मोहब्ब्त बहुत सरल है तुम निभा तो लोगी न?? मैं | हिंदी कविता

"मेरी मोहब्ब्त बहुत सरल है तुम निभा तो लोगी न?? मैं खुले बालों की तरह आज़ाद रहना चहाता हूं ये ख़ुद को बता तो दोगी न?? मैं पेड़ों की तरह छाव देना चाहता हुं तुम छत बनाने की गलती तो नहीं करोगी न?? मैं समाज के मस्तिष्क में धंसे हुए समीकरण बदलना चाहता हूं तुम साथ दोगी न??? 𝚋𝚢...𝙼𝙺 𝙶𝙾𝙼𝙻𝙰𝙳𝚄 ©M K"

 मेरी मोहब्ब्त बहुत सरल है
तुम निभा तो लोगी न??
मैं खुले बालों की तरह
आज़ाद रहना चहाता हूं
ये ख़ुद को बता तो दोगी न??
मैं पेड़ों की तरह छाव देना चाहता  हुं
तुम छत बनाने की गलती तो नहीं करोगी न??
मैं समाज के मस्तिष्क में धंसे हुए
समीकरण बदलना चाहता हूं
तुम साथ दोगी न???
𝚋𝚢...𝙼𝙺 𝙶𝙾𝙼𝙻𝙰𝙳𝚄

©M K

मेरी मोहब्ब्त बहुत सरल है तुम निभा तो लोगी न?? मैं खुले बालों की तरह आज़ाद रहना चहाता हूं ये ख़ुद को बता तो दोगी न?? मैं पेड़ों की तरह छाव देना चाहता हुं तुम छत बनाने की गलती तो नहीं करोगी न?? मैं समाज के मस्तिष्क में धंसे हुए समीकरण बदलना चाहता हूं तुम साथ दोगी न??? 𝚋𝚢...𝙼𝙺 𝙶𝙾𝙼𝙻𝙰𝙳𝚄 ©M K

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