White गजल..
क्या मजा आपस मे लड़वाने मे है।
प्रेम से जीना तो समझाने मे है।
छोड़कर हमको गये परदेस वो।
रात कटती आज वीराने मे है।
चैन से बिस्तर पे लेटा सोचता।
देखता सपने वो अन्जाने मे है।
खोजते हैं आज बच्चे स्वाद को।
माँ के हाथों की महक खाने मे हैं।गिरह
यार बहका हूँ उसे लेने के लिये
वो मिले मदिरा भी मैखाने मे है।
माँ के जैसा कब मिला संसार* ऋतु
माँ का प्यारा हाथ सहलाने मे है।
झेलते है दर्द को बिन बात के।
पा रहे हम सब खुशी गाने मे है।
स्वरचित..✍️
रीतागुलाटी ऋतंभरा
©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
#L#एक गजल पेशखिदमत 9-5-24onely_quotes