✍️आज की डायरी✍️ ये फ़ितरत होती है जो रातों में अधू | हिंदी शायरी

"✍️आज की डायरी✍️ ये फ़ितरत होती है जो रातों में अधूरे ख़्वाबों से डर जाते हैं हम , मुकम्म्मल होते ग़र वो ख़्वाब तो आज हम भी सिकंदर हो गए होते ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र"

 ✍️आज की डायरी✍️

ये फ़ितरत होती है जो रातों में अधूरे ख़्वाबों से डर जाते हैं हम ,

मुकम्म्मल होते ग़र वो ख़्वाब तो आज हम भी सिकंदर हो गए होते ।।

                               ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️ ये फ़ितरत होती है जो रातों में अधूरे ख़्वाबों से डर जाते हैं हम , मुकम्म्मल होते ग़र वो ख़्वाब तो आज हम भी सिकंदर हो गए होते ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

#Dreams

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