White वक़्त की एक करवट में कुछ सपने थे जो टूट गए
वो अपने कैसे अपने थे, जो सफ़र में पीछे छूट गए
जो बने नहीं सारथी साँसों के, अब उनसे कैसी शिकायत हो
वो अपने फिर अपने कैसे, जिनमें भी बड़ी सियासत हो
ऋतुओं में अचानक यह क्या शरारत हो रही है
नींदें आँखों से कहीं अचानक खो रहीं हैं
रिश्तों में भी फक़्त सियासत हो रही है
इच्छाएं भी यहाँ बस पाप बोझ ढो रही हैं…
©@BeingAdilKhan
#Hindi poetry #R...Ojha I_surbhiladha @Shalu @Anshu writer @Mrs.Donia Aakash Bhardwaj