इक सुनहरी , शाम को तलाशते । थकन से दूर, सुकूं के र | हिंदी शायरी

"इक सुनहरी , शाम को तलाशते । थकन से दूर, सुकूं के रास्ते । खुद ही से मिलें , खुद ही के वास्ते । इक सुनहरी , शाम को तलाशते । ©Mureed Maninder"

 इक सुनहरी ,
शाम को तलाशते ।
थकन से दूर,
सुकूं के रास्ते ।

खुद ही से मिलें ,
खुद ही के वास्ते ।

इक सुनहरी ,
शाम को तलाशते ।

©Mureed Maninder

इक सुनहरी , शाम को तलाशते । थकन से दूर, सुकूं के रास्ते । खुद ही से मिलें , खुद ही के वास्ते । इक सुनहरी , शाम को तलाशते । ©Mureed Maninder

इक सुनहरी ,
शाम को तलाशते ।
थकन से दूर,
सुकूं के रास्ते ।

खुद ही से मिलें ,
खुद ही के वास्ते ।

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