ढूंढ़ता फिरूंंगा बगीचों में
सूने होगए आपके बिन दादा जी
आपकी गोद को तरसता रहूँगा
खोया सुकून आराम दादा जी
ढूंढ़ता फिरूंंगा आवाज़ों में
मुझे बुलाना ना होगा फिर दादा जी
आपके चरणों में थी सेवा आखिरी
याद रहेगी हर पल वो शाम दादा जी
ढूंढ़ता फिरूंंगा आपको आसन पर
आप यूँ हवा होगए दादा जी
दिल को धोखा सा लगता है
याद आती आपकी मुस्कान दादा जी
कोई तरीका तो होगा ना मिलने का
बातें अभी अधुरी रह गई दादा जी
आँसुओं में बस दिख जाया करना
जब भी मुझे याद आओ दादा जी
मेरी गलतियाँ हज़ारों माफ कर देना
मेरे सन्त सरकार दादा जी
आपके अरमानों को पूरा करुँ मैं
आपके लाडले का आपको प्रणाम दादा जी
#MyPoetry
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