White उस दिन जब भोर की उषा ने
आकाश में लाली सजाई थी।
तब से मेरे बेचैन अंतर्मन ने
अश्कों की लड़ी लगाई थी।
शाम सबेरे चहकती चिड़िया ने
कल से ही चुप्पी लगाई थी।
सुहाने सपनो में गुम थी वो या
दिल में उसके उदासी छाई थी।
सब उथलपुथल सा लग रहा यहां
मेरी भी दिनचर्या कुछ अलसाई थी।
जुदा हुई उसकी छाया भी मुझसे
उसकी चहक मेरे दिल में बस गई।
शाम की लाली ओढ़ वो मेरी चिड़िया
अपने नए घोसले में जा बस गई।
©अलका मिश्रा
©alka mishra
#उस_दिन_जब