White ये शायद अंत है
पर मैं इसका सारा श्रेय तुमको देना चाहूगा जैसे सब इकाइक प्रारंभ हुआ था वैसे ही समाप्त हो गया पर मैं तुमसे वो सारी यादे ले जाना चाहता हूँ जिनमे मेरी आवाज़ तुम्हारी सुबह की शुरुवात करती थी और मेरे एहसास तुम्हारी रातो को चाँदनी का सुकून देते थे और वो सब भी जिनकी वजह से बिरह पनपे तुम्हारे हृदय में मैं वो सब समेट चला जाऊँगा पर क्या सच में है तुम्हारे पास वो यादे अब भी क्या है तुम्हारे पास मेरा एहसास अब भी जैसा बिलकुल मेरे पास है तुम्हारा शायद नहीं विच्छोदन का दुःख मैं अकेले सह रहा हूँ तो मैं लेकर भी क्या जा सकुगा तुम्हारे पास से तो चलो मैं कुछ ना सही ले जा पाऊगा क्यूकि मैंने तो सिर्फ़ तुम्हें देना चाहा सिर्फ़ एक बार तुमने अपने अपने अंतर्मन में मुझे ढूँढा होता तो मैं ज़रूर तुम्हारे पास मिलता पर अफ़सोस तुमने मुझे कही नहीं ढूँढा
©@_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09
#sad_shayari @Anshu writer Neelam Modanwal Kanchan Agrahari