इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे। जलभुन रहा है जह | हिंदी कविता

"इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे। जलभुन रहा है जहर में जैसा दिखाई दे। अंधा बना आदमी थमती अब निगाहें है। जिसको हमारी फिकर है वैसा दिखाई दे। ©K L MAHOBIA"

 इक आदमी तो शहर में 
ऐसा  दिखाई दे।
जलभुन रहा है जहर में 
जैसा दिखाई दे।
अंधा बना  आदमी थमती 
अब  निगाहें है।
जिसको हमारी फिकर है 
वैसा दिखाई दे।

©K L MAHOBIA

इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे। जलभुन रहा है जहर में जैसा दिखाई दे। अंधा बना आदमी थमती अब निगाहें है। जिसको हमारी फिकर है वैसा दिखाई दे। ©K L MAHOBIA

#दिल से - के एल महोबिया

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