उत्साह से हमने भी उसे पाया है
उसकी मुस्कान की जिक्र में खुद को पाया है
भोली सी सूरत , शहद सी मधुरी आवाज है
रीत बस इतनी सी है कि वह मुझे से बहुत दूर है
दूर भी इतना , जितना कि नयन भी चार न हो सकेंगे
खनक उनकी पायल की कभी सुन नहीं पाएंगे
रूतबा है उनके स्वच्छंद गगन में होने का.....
इसी जीत के साथ , हम भी उनकी यादों में बिखरे मिलेंगे
©Dev Rishi
#Yaari