कई रंग मिल रहे हैं खुशियां मना रहे हैं मां की ममत

"कई रंग मिल रहे हैं खुशियां मना रहे हैं मां की ममता परे हैं वादे निभा रहे हैं एक बार आ भी जाओ आंखों को हो तसल्ली बंधन है यह जो सच्चा झूठा बता रहे हैं सब को कैसे हो भरोसा ,भरोसा दिला रहे हैं। अब तुम बदल ना जाना विनती है मां तुम्हीं ही से कुछ लास मेरी रख लो अब आस है तुम्हीं से तुम्हें कैसे भूल जाऊं जननी हो तुम हमारी तेरी याद आसु बन कर गवाही सुना रहे हैं मेरी भावना है दर्पण कुछ भी नहीं गलत हूं तेरी कोख से अजन्मा फिर भी तुम्हारा ही हूं रज रंग संग उडती होलिका मना रहे हैं मां कुछ तो थोड़ा बोलो कब से बुला रहे हैं।। ।।आनन्द तिवारी।।"

 कई रंग मिल रहे हैं खुशियां मना रहे हैं
 मां की ममता परे हैं वादे निभा रहे हैं

एक बार आ भी जाओ आंखों को हो तसल्ली
बंधन है यह जो सच्चा झूठा बता रहे हैं

सब को कैसे हो भरोसा ,भरोसा दिला रहे हैं।

अब तुम बदल ना जाना विनती है मां तुम्हीं ही से
कुछ लास मेरी रख लो अब आस है तुम्हीं से

तुम्हें कैसे भूल जाऊं जननी हो तुम हमारी
तेरी याद आसु बन कर गवाही सुना रहे हैं

मेरी भावना है दर्पण कुछ भी नहीं गलत हूं
तेरी कोख से अजन्मा फिर भी तुम्हारा ही हूं

रज रंग संग उडती होलिका मना रहे हैं
मां कुछ तो थोड़ा बोलो कब से बुला रहे हैं।।

।।आनन्द तिवारी।।

कई रंग मिल रहे हैं खुशियां मना रहे हैं मां की ममता परे हैं वादे निभा रहे हैं एक बार आ भी जाओ आंखों को हो तसल्ली बंधन है यह जो सच्चा झूठा बता रहे हैं सब को कैसे हो भरोसा ,भरोसा दिला रहे हैं। अब तुम बदल ना जाना विनती है मां तुम्हीं ही से कुछ लास मेरी रख लो अब आस है तुम्हीं से तुम्हें कैसे भूल जाऊं जननी हो तुम हमारी तेरी याद आसु बन कर गवाही सुना रहे हैं मेरी भावना है दर्पण कुछ भी नहीं गलत हूं तेरी कोख से अजन्मा फिर भी तुम्हारा ही हूं रज रंग संग उडती होलिका मना रहे हैं मां कुछ तो थोड़ा बोलो कब से बुला रहे हैं।। ।।आनन्द तिवारी।।

मां

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