पल्लव की डायरी कहाँ तक दौड़ है, अपनी मंजिल की बुनिय | हिंदी कविता Video

"पल्लव की डायरी कहाँ तक दौड़ है, अपनी मंजिल की बुनियाद तो कोई होनी चाहिये भटकाव में भटक रहे है पनाह कही तो मिलना चाहिये गैर नही है यहाँ कोई सबको तरक्की की राह देनी चाहिये सफर जिंदगी का छोटा है सबको जीने का अधिकार देना चाहिये कुछ भी शाश्वत नही कुछ भी किसी का इसलिये हितों और भलाई का पग रखना चाहिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" "

पल्लव की डायरी कहाँ तक दौड़ है, अपनी मंजिल की बुनियाद तो कोई होनी चाहिये भटकाव में भटक रहे है पनाह कही तो मिलना चाहिये गैर नही है यहाँ कोई सबको तरक्की की राह देनी चाहिये सफर जिंदगी का छोटा है सबको जीने का अधिकार देना चाहिये कुछ भी शाश्वत नही कुछ भी किसी का इसलिये हितों और भलाई का पग रखना चाहिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#snowpark हितों और भलाई का पग रखना चाहिये
#nojotohindi

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