मैं जब भी पुकारू तुम्हें तुम दौड़कर आना
मेरे कान्हा तुम सबकुछ छोड़कर आना
लगन तुमसे जो लगी है बस यूं ही लगाए रखना
कदम-कदम चलू जो मैं, तुम हाथ बढ़ाए रखना
श्रद्धा,भक्ति, प्रेम मेरा विश्वास तुम्हीं से
मेरे कान्हा मेरे प्राणो में स्वांस तुम्हीं से
साँसो के हर मनके पर सुमिरा है नाम तुम्हारा
तुझे देखे बिन मेरे नैनों से बहती अमृतधारा
तुमसे बंधी प्रीत की डोर कमजोर ना होने देना
अगर मैं कभी दिनभर की व्यवस्ताओ,भागदौड़,
कोल्हाहल में तुम्हारा नाम लेना ही भूल जाऊ
तुम मगर अपनी नज़र हमेशा मेरी और
बनाए रखना मेरे कान्हा.....
मैं जब भी पुकारू तुम्हें तुम दौड़कर आना
मेरे कान्हा तुम सबकुछ छोड़ कर आना.....
©Moksha
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