सुख के साथी सब बने, दुख मे कोई न निकट आवे। धन है त | हिंदी कविता

"सुख के साथी सब बने, दुख मे कोई न निकट आवे। धन है तो जन है, नहिं तो अन्न-अन्न को लोग तड़पावे। ©Priyanka Choudhary"

 सुख के साथी सब बने,
दुख मे कोई न निकट आवे।
धन है तो जन है,
नहिं तो अन्न-अन्न को लोग तड़पावे।

©Priyanka Choudhary

सुख के साथी सब बने, दुख मे कोई न निकट आवे। धन है तो जन है, नहिं तो अन्न-अन्न को लोग तड़पावे। ©Priyanka Choudhary

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