पीर पर्वत की पिघलानी चाहियें,
आंख मे दरिया सा पानी चाहिये,
हरनज़र खंजर लिये फिरती हैं तो,
सीने मे भी खूं की रवानी चाहिये।
उनके हाथों मे मशालें हैं तो क्या,
आग अब सीने मे जलानी चाहिये,
फड़फड़ा जाये जो मुर्दा लाश भी,
कोई अब ऐसी ही कहानी चाहिये।
इश्क मे लड़ते सनम तुम बुढ़े हुये,
इश्क के दुश्मन मे जबानी चाहिये।
#wetogether