बना घूमता रहा कसूरवार
तेरे शहर की गलियों में
तुम एक दफ़ा ही सही
मेरी ख़ता बताने को
आये तो होते...
हाँ जी चुके हैं हम
एक गुमनाम सी जिंदगी
साँसे भी रुक जानें को हैं अब
सब कुछ थम जानें को है अब
तुम हाल पूछने मेरा
आये तो होते...
रखा हूँ जलते शोलो पर मैं
उठती लपटें ज़ोर भरी
मुझे आग़ोश में लेती जाती हैं
आखिरी बार ही सही
मिलने को तुम मुझसे
आये तो होते....
दर्द नहीं हो रहा अब
बेजान हो चुका हूँ
जल रहा है तन सारा
अब राख बन रहा हूँ
दो लफ्ज़ ही आखिरी
कहने को तुम मुझसे
आये तो होते....
बजूद मेरे होने का भी
अब राख हो गया है
जले जा रहे अंगारे
सब खाक हो गया है
बिखर चुका हूँ अब
और सिमट भी गया हूँ
तुर्बत(कब्र)मेरी अंधेरों में है
रोशन चराग़ से करने तुम
आये तो होते ...
©nothing boy
तुम आये तो होते ....
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