अकेली आती है और अकेली ही चली जाती है। अब के मॉनसू | हिंदी शायरी

"अकेली आती है और अकेली ही चली जाती है। अब के मॉनसून, गलियों में कस्तियाँ नहीं तैरती। होती है अब भी वही बारिश, पहले सी। गर गलियों की रौनक, अब घरों से नहीं निकलती। ©Shyarana Andaaz"

 अकेली आती है
 और अकेली ही चली जाती है।
अब के मॉनसून,
गलियों में कस्तियाँ नहीं तैरती।

होती है अब भी वही बारिश,
पहले सी।
गर गलियों की रौनक, 
अब घरों से नहीं निकलती।

©Shyarana Andaaz

अकेली आती है और अकेली ही चली जाती है। अब के मॉनसून, गलियों में कस्तियाँ नहीं तैरती। होती है अब भी वही बारिश, पहले सी। गर गलियों की रौनक, अब घरों से नहीं निकलती। ©Shyarana Andaaz

मानसून और बचपन
#मानसून #बचपन
#monsoon #Childhood

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