जब रिश्ते जब रिश्ते मे कोईभी फिजूलकी शिकायत नही

"जब रिश्ते जब रिश्ते मे कोईभी फिजूलकी शिकायत नही थी, शायद खास चीजोंके हिसाबमे वक्तने बाजार किया। हम इन बारिशोमे हमेशा उनको याद करते रहते है, हमने अपनी आखोंको गहरी रखके इन्तजार किया। हमने साथमे रखाहुवा कुछ पारा हवेमे भाप होगया, इस बने माहोलको ठंडा रखके खुदको बिमार किया। हमे लगा के कुछ साजिशे हमारे खिलाफ भुन रही है, हमने शमा जलानेसे पहेलेही अंधेरेको बेनकाब किया। हमारी शायदही तनुकमिजाजी हुई होगी अगर आपसे, लेकिन आपसे दुर रहनेका कभी मजाल नही किया। पास से वो गुजर गए,पर उन्होने नजरअंदाज किया, पहिये लुड़कगये थे इसिखातिर हमने गराज किया। बात बिघड़नेकी वजह शायद दोनो तरफा रही थी, ये सारी गलती हमारी समजकर हमने सुधार किया। ©Kiran Powar"

 जब रिश्ते 

जब रिश्ते मे कोईभी फिजूलकी शिकायत नही थी,
शायद खास चीजोंके हिसाबमे वक्तने बाजार किया।

हम इन बारिशोमे हमेशा उनको याद करते रहते है,
हमने अपनी आखोंको गहरी रखके इन्तजार किया।

हमने साथमे रखाहुवा कुछ पारा हवेमे भाप होगया,
इस बने माहोलको ठंडा रखके खुदको बिमार किया।

हमे लगा के कुछ साजिशे हमारे खिलाफ भुन रही है,
हमने शमा जलानेसे पहेलेही अंधेरेको बेनकाब किया।

हमारी शायदही तनुकमिजाजी हुई होगी अगर आपसे,
लेकिन आपसे दुर रहनेका कभी मजाल नही किया।

पास से वो गुजर गए,पर उन्होने नजरअंदाज किया, 
पहिये लुड़कगये थे इसिखातिर हमने गराज किया।

बात बिघड़नेकी वजह शायद दोनो तरफा रही थी,
ये सारी गलती हमारी समजकर हमने सुधार किया।

©Kiran Powar

जब रिश्ते जब रिश्ते मे कोईभी फिजूलकी शिकायत नही थी, शायद खास चीजोंके हिसाबमे वक्तने बाजार किया। हम इन बारिशोमे हमेशा उनको याद करते रहते है, हमने अपनी आखोंको गहरी रखके इन्तजार किया। हमने साथमे रखाहुवा कुछ पारा हवेमे भाप होगया, इस बने माहोलको ठंडा रखके खुदको बिमार किया। हमे लगा के कुछ साजिशे हमारे खिलाफ भुन रही है, हमने शमा जलानेसे पहेलेही अंधेरेको बेनकाब किया। हमारी शायदही तनुकमिजाजी हुई होगी अगर आपसे, लेकिन आपसे दुर रहनेका कभी मजाल नही किया। पास से वो गुजर गए,पर उन्होने नजरअंदाज किया, पहिये लुड़कगये थे इसिखातिर हमने गराज किया। बात बिघड़नेकी वजह शायद दोनो तरफा रही थी, ये सारी गलती हमारी समजकर हमने सुधार किया। ©Kiran Powar

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