फांसी की सजा सुनाकर पेन की निब तोड़ दी
जाती है क्योकिं इस पेन से किसी का जीवन
खत्म हुआ है तो इसका दोबारा प्रयोग ना हो। निब तोड़ने के बाद खुद जज को भी ये
अधिकार नहीं होता कि वह अपने फैसले की
समीक्षा करे या उस फैसले को बदल सके।
©Ramanand Nishad
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