हां बाकी सब तो ठीक है और कल का कुछ भी पता नहीं,
बस तन्हा रातें कटती है और दिन का कुछ भी पता नहीं
सांसे बस धीमी चलतीं हैं और हाल इस दिल का पता नहीं
मेरे साथ हमेशा चलतीं है पर राहों का कुछ पता नहीं
मैं भटका हूं इन राहों में मुझे मंजिल का कुछ पता नहीं,
हां बाकी सब तो ठीक है और कल का मुझको पता नहीं।
- प्रशांत द्विवेदी
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