राधा को आपने "चाहा"
मीरा ने आपको "चाहा"
रुकमणि ने आपको "पा" लिया,
किंचित ही मैं,
इन तीनों में से एक भी नही,
वैसे मैंने आजतक कभी कुछ माँगा नहीं,
लेकिन जिंदगी में सिर्फ दो मौके ऐसे आये की मैं हर चीज़ से अपना कंट्रोल खो चुका था,
और तब आपसे पहली बार कुछ माँगा, लेकिन कभी मिला नहीं,
और तभी से मैं खुद को आस्तिक कम नास्तिक ज्यादा मानता हूँ,
लेकिन महाभारत के उस कर्ण के अलावा आप ही हो जिसने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया,
आज एक बार फिर आपके नेह मैं डूबकर आपको कुछ अनकहा सा, कुछ अनलिखा सा लिख रहा हूँ,
उम्मीद है,
शायद आखिरी बार मेरे अंदर बाकी बची मेरी ये कम आस्तिकता पूर्ण नास्तिकता में नहीं बदलेगी।।
#कृष्ण...🙏🏻